Wednesday, 27 February 2013

चिदंबरम ने संसद में बजट पेश किया

केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम गुरुवार को देश का 82वां आम बजट संसद में पेश किया. यह उनका अपना आठवां बजट है, जो पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई द्वारा रिकार्ड 10 बार प्रस्तुत किए गए बजट से दो कम है. अगस्त 1947 में आजादी हासिल करने के बाद देश में अब तक 25 मंत्रियों ने वित्त प्रभार सम्भाला है. इस दौरान 81 बार बजट पेश किए गए, जिनमें से 65 साधारण सालाना बजट थे, 12 अंतरिम बजट थे और चार विशेष अवसर के बजट थे, जिसे छोटा बजट भी कहा जाता है.
वित्त मंत्री पी चिदंबरम आज पेश करेंगे यूपीए-2 सरकार का आखिरी आम बजट. 2014 चुनावों के मद्देनजर वित्तमंत्री पी चिदंबरम पर लोकलुभावन बजट पेश करने की चुनौती है तो खस्ताहाल अर्थव्यस्था को पटरी पर लाने के लिए कठोर फैसले भी जरूरी है.सवाल सबसे बड़ा ये है कि एक साथ दो नावों की सवारी कैसे कर पाएंगे वित्त मंत्री.
जिस बजट से लिखी जाएगी अगले 12 महीने तक हिन्दुस्तान की तरक्की की तस्वीर, जिस बजट से तय होगी देश की अर्थव्यवस्था में योगदान देने वाले तमाम उद्योगों से लेकर छोटे-बड़े कारोबारियों की दशोदिशा, जो बजट तय करेगा, हर महीने आपकी जेब में कट कर आएगी कितनी तनख्वाह?, जो बजट बताएगा, आपकी कमाई से साल में कुछ बचत भी होगी या सारी कमाई डकार जाएगी महंगाई की सुरसा?
आखिरकार उस आम बजट की बारी आ गई है, लेकिन हमारे आपके लिए ये जानना सबसे ज्यादा जरुरी है कि वित्त मंत्री पी चिदंबरम का ये 8वां आम बजट देशवासियों के लिए राहत का पिटारा खोलेगा या करेगा आफत की बरसात?
क्योंकि साल 2014 में लोकसभा चुनाव है. 2014 के चुनाव से पहले यूपीए-2 सरकार का ये आखिरी बजट होगा इसलिए आप राहत और लोकलुभावन बजट की उम्मीद कर सकते हैं, लेकिन संकेत कुछ डराने वाले ही मिले हैं, यानी ऊपर से मक्खन मलाई और धीरे से जेब कटाई.
कहने का मतलब है कि कहीं तो आपको राहत का सब्जबाग दिखाया जाएगा और कहीं आपकी जेब ऐसी काटी जाएगी कि आप समझ भी नहीं पाएंगे. शुरुआत राहत की बात से ही करते हैं ताकि आपके चेहरे की मुस्कान कुछ देर ही सही पर बनी रहे.
-मध्यम वर्ग को खुश करने के लिए टैक्स में छूट की सीमा दो लाख से बढ़ाकर दो लाख बीस हजार की जा सकती है.
-साथ में स्लैब में भी बदलाव किया जा सकता है. इसका फायदा ये होगा कि आपकी जेब में हर महीने आने वाली तनख्वाह में थोड़ी बढ़ोत्तरी हो जाएगी.
वित्त मंत्री पी चिदंबरम का इरादा है कि
-हाउसिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए होम लोन पर मिलने वाली टैक्स छूट भी बढ़ाई जाए, इससे भी आपको कुछ आर्थिक लाभ हो सकता है.
लेकिन राहत की उम्मीद बस यहीं तक. माना जा रहा है कि चिदंबरम का बजट महंगाई कम, आफत ज्यादा लाएगा.
-बजट में डीजल, एलपीजी के दाम बढ़ाने का रास्ता साफ हो सकता है.
-एक्साइज ड्यूटी का बढ़ना तय माना जा रहा है. यानी फ्रीज, टीवी से लेकर मोबाइल तक सबकुछ हो जाएगा.
-ज्यादा कमाने वालों पर ज्यादा टैक्स लगाया जा सकता है.
-सोने पर आयात कर बढ़ाया जा सकता है.
-सरकारी कंपनियों में विनिवेश का रास्ता साफ किया जा सकता है.

चार साल बाद वित्त मंत्रालय लौटे चिदंबरम के सामने चुनौती है वित्तीय घाटे को 4.8 फीसदी तक लाने की. और प्रणब दा के वित्तमंत्री रहते मुंह मोड़ने वाले निवेशकों में फिर भरोसा जगाने की. मजबूरी ये कि चुनाव सिर पर सवार है और चिदंबरम के सामने जादू की छड़ी है नहीं.

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