भारत-बांग्लादेश संयुक्त सलाहकार आयोग (जेसीसी) की दूसरी बैठक ढाका में 16 फरवरी 2013 को आयोजित की गई. भारत और बांग्लादेश ने दोनों देशों के बीच जमीनी सीमा से सबंधित मुद्दों को सुलझाने के लिए समझौते को लागू करने की प्रक्रिया के तहत,सीमा क्षेत्रों के मानचित्रों का आदान- प्रदान किया. इसका उद्देश्य दोनों देशों के मध्य 4000 किलोमीटर से अधिक लम्बी अंतरराष्ट्रीय सीमा का पक्का रेखांकन करना है. भारतीय मंत्रिमंडल ने लंबित भूमि सीमा समझौते के संदर्भ में संविधान संशोधन विधेयक के मसौदे को 13 फरवरी 2013 को मंजूरी दे दी. भूमि सीमा समझौते (एलबीए) पर वर्ष 1974 में और इससे सम्बंधित प्रोटोकाल पर सितंबर 2011 में हस्ताक्षर किए गए थे.
इस बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने अखोरा-अगरतला रेल संपर्क और भारत-बांग्लादेश फाउंडेशन के नाम से एक शोध संस्थान स्थापित करने के लिए दो अलग–अलग सहमति पत्रों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए. इसके अलावा दोहरा कर बचाव संधि में संशोधन, त्रिपुरा तथा मेघालय में अतिरिक्त सीमा हाट खोले जाने से सम्बंधित मुद्दों पर सहमति पत्र पर भी हस्ताक्षर किए. साथ ही भारत ने बांग्लादेश को 20 करोड़ डॉलर की ऋण सहायता में से 5 करोड़ डॉलर जारी करने की प्रतिबद्धता भी दोहराई.
संयुक्त सलाहकार आयोग की दूसरी बैठक में भारतीय दल का नेतृत्व भारत के विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद ने और बांग्लादेश का नेतृत्व विदेशमंत्री डा. दीपूमोनी ने किया. दोनों नेताओं ने भारत-बांग्लादेश संयुक्त सलाहकार आयोग की दूसरी बैठक में विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श किया.जेसीसी दूसरी बैठक में भाग लेने के लिए विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद ने ढाका की दो दिवसीय यात्रा 16-17 फ़रवरी 2013 को की.
विदित हो कि भारत-बांग्लादेश संयुक्त सलाहकार आयोग (जेसीसी) की पहली बैठक नई दिल्ली में वर्ष 2012 हुई. इस बैठक की अध्यक्षता भारत के तत्कालीन विदेशमंत्री एसएम कृष्णा और बांग्लादेश के विदेशमंत्री दीपू मोनी ने किया. यह आयोग सितंबर 2011 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ढाका यात्रा के दौरान विकास और सहयोग पर हस्ताक्षरित एक फ्रेमवर्क करार के तहत गठित किया गया.
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