Tuesday 26 February 2013

महिलाओं को कार्यस्थल पर प्रताड़ना से बचाने वाले विधेयक को संसद की मंजूरी

दफ्तरों से लेकर मजदूरी और खेत खलिहानों में काम करने वाली महिलाएं भी अब महफूज रह सकेंगी. महिलाओं को कार्यस्थल पर यौन सहित विभिन्न प्रकार की प्रताड़ना से संरक्षण प्रदान करने और उन्हें तनावमुक्त माहौल प्रदान करने के प्रावधान वाले एक विधेयक को मंगलवार को संसद की मंजूरी मिल गयी.
विधेयक में यह प्रावधान भी किया गया है कि शिकायतों की 90 दिनों की समयसीमा के अंदर जांच करनी होगी और प्रावधानों का उल्लंघन करने पर नियोक्तों को 50 हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा. विधेयक के दायरे में घरों में काम करने वाली सहायिकाओं को भी शामिल किया गया है.
महिला एवं बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ ने राज्यसभा में इस विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य संगठित एवं असंगठित दोनों क्षेत्रों में काम करने वाली महिलाओं को कार्यस्थल पर सुरक्षित माहौल प्रदान करना है. उन्होंने कहा कि कृषि एवं घरेलू कार्य में लगी महिलाओं को भी इस विधेयक के दायरे में लाया गया है.
मंत्री के जवाब के बाद सदन ने महिलाओं को कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध एवं प्रतितोष) विधेयक 2012 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है.
इसके पूर्व तीरथ ने कहा कि 1997 के विशाखा बनाम राजस्थान सरकार मामले में उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए यह विधेयक लाया गया है. उन्होंने कहा कि विधेयक में स्थायी समिति के सुझावों पर गौर किया गया है और राज्यों के साथ विचार विमर्श किया गया है.

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