Tuesday 19 February 2013

'बंद' के खिलाफ ममता बनर्जी की 'दीदीगिरी


अपनी मांगे मनवाने के लिए देश के 11 बड़े मजदूर संगठनों और बैंक कर्मचारियों के 9 यूनियनों ने एड़ी चोटी का जोर दिया है. दिल्ली, मुंबई से लेकर कोलकाता तक हाहाकार मचाने का इनका इरादा है लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इरादे कुछ और ही हैं.
ममता सरकार ने कमर कस ली है कि किसी हाल में भारत बंद सफल न हो. ममता ने कारोबारियों से हाथ जोड़कर दुकाने खोलने की अपील की तो सरकारी कर्मचारियों को बुरे अंजाम का खौफ दिखाकर दफ्तर में उपस्थित रहने का हुक्म सुनाया है.
अगले 48 घंटे तक हिन्दुस्तान ठप रहेगा और कारखानों से लेकर सड़कें भी सूनसान नजर आएंगी. देश के 11 मजदूर संगठनों का ये भारत बंद पश्चिम बंगाल के योगदान के बगैर सफल नहीं हो सकता लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस भारत बंद को सफल ना होने देने की ठान ली है.
भारत बंद पर ममता ने फरमान जारी किया है कि दौड़ती रहे गाड़ियां, बंद न हों फैक्ट्रियां. दफ्तर में बिना लाग-लपेट उपस्थित रहें सरकारी कर्मचारी और स्टाफ, वरना दो दिनों के बंद के बाद तैयार रहें भुगतने के लिए खतरनाक अंजाम.
ममता ने कहा, 'हम बंद का की इजाजत नहीं देंगे. किसी भी हालत में हम 20 फरवरी को बंद की इजाजत नहीं देंगे. मैं सख्त कार्रवाई करने वाली हूं. मैं आर्मी जवान की तरह हूं अगर कोई नुकसान होगा सरकार इसकी हिफाजत करेगी.'
ममता के फरमान पर ट्रेड यूनियन नेताओं का इल्जाम है कि जब ममता खुद विपक्ष में थीं तो आए दिन विरोध प्रदर्शन करती थीं. अब मुंख्यमंत्री बनने के बाद वो कैसे दूसरों का लोकतांत्रिक अधिकार छीन सकती हैं.
विपक्ष ममता के फरमान को हिटलरी कहे या तुगलकी लेकिन दीदी के इरादे अटल हैं. ममता सरकार के मंत्री सुनिश्चित करेंगे कि सरकारी संपत्ति या कामकाज में कोई बाधा न हो. दरअसल ममता को लगता है कि भारत बंद की आड़ में लेफ्ट नेता और समर्थक पश्चिम बंगाल में सियासत चमकाने के लिए किसी भी हद तक गुजर सकते हैं. इसलिए उनकी सरकार हर मोर्चे पर तैनात है ताकि भारत बंद सफल न हो और लेफ्ट को सियासी जमीन हासिल करने की लक्ष्मणबूटी किसी हाल में न मिले.
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