Friday 6 December 2013

दुनिया के दूसरे गांधी मंडेला नहीं रहे, भारत समेत दुनिया भर में शोक


दुनिया के दूसरे गांधी मंडेला नहीं रहे, भारत समेत दुनिया भर में शोक

दुनिया के दूसरे गांधी मंडेला नहीं रहे, भारत समेत दुनिया भर में शोक
जोहान्सबर्ग/नई दिल्ली : दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद नीति के खिलाफ संघर्ष में महात्मा गांधी से प्रेरणा लेने वाले और देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला का लंबी बीमारी के कारण शुक्रवार को यहां उनके आवास पर निधन हो गया। वे 95 वर्ष के थे। उनका अंतिम संस्कार 15 दिसंबर को किया जाएगा।

अब्राहम लिंकन और मार्टिन लूथर किंग जैसे प्रसिद्ध मानवाधिकार पुरोधा और अक्सर ‘दक्षिण अफ्रीका के गांधी’ कहे जाने वाले मंडेला को दुनियाभर के नेताओं ने ‘श्रेष्ठ व्यक्तित्व’ और ‘महापुरुष’ बताया।

दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जूमा ने टेलीविजन पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘हमारे लोकतांत्रिक देश के संस्थापक राष्ट्रपति, हमारे प्यारे नेल्सन मंडेला नहीं रहे।’ दक्षिण अफ्रीका ने 10 दिन के शोक की घोषणा की है जबकि भारत और अमेरिका ने मंडेला के सम्मान स्वरूप अपने-अपने देश के झंडे आधे झुका देने की घोषणा की।

मंडेला को 1990 में भारत के शीर्ष नागरिक पुरस्कार ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था। चिकित्सकों का एक दल यहां सितंबर से हॉबटन उपनगर में मंडेला के आवास पर उनकी चिकित्सकीय देखभाल कर रहा था। इससे पहले वह बार-बार होने वाली फेफड़ों संबंधी बीमारी के कारण प्रिटोरिया के एक अस्पताल में तीन महीने तक भर्ती रहे थे।

जूमा ने कहा, हमारे देश ने अपना सबसे महान सपूत खो दिया। हमारे लोगों ने एक पिता खो दिया है।’ उन्होंने कहा, ‘जिस चीज ने नेल्सन मंडेला को इंसान बनाया, उसी ने उन्हें महान बनाया। हम उनमें जो देखते हैं, वह हम अपने भीतर खोजते है।’

जूमा ने घोषणा की कि मंडेला का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। अंतिम संस्कार होने तक राष्ट्र के सभी झंडे झुके रहेंगे। मंडेला के शव को सेना अस्पताल ले जाया गया है और राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करने की तैयारी शुरू हो गई है।

जूमा ने कहा कि मंडेला के स्वतंत्रता के लिए अथक संघर्ष ने उन्हें विश्वभर में सम्मान दिलाया। उन्होंने कहा कि लोग उनकी विनम्रता, दया और मानवता के कारण उनसे प्यार करने लगे। मंडेला की पहली पत्नी इवेलिन मासे से उनके चार बच्चे हुए। दूसरी पत्नी विनी से उनका तलाक 90 के दशक के मध्य में हुआ जबकि तीसरी पत्नी ग्रेसा माचेल थीं।

भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला के निधन पर शोक प्रकट किया है। राष्ट्रपति ने कहा, 'मंडेला एक नेता, विश्व के नेता और मानवता के लिए प्रेरणा थे। वह भारत के महान मित्र थे और दोनों देश के संबंध को मजबूती देने में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।' प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ट्विटर पर लिखा, 'इंसानों में एक महामानव का निधन हो गया। यह दक्षिण अफ्रीका की तरह भारत के लिए भी हानि है। वह सच्चे गांधीवादी थे।' मंडेला को 1990 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने मंडेला के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि उन्हें सदियों तक याद किया जाएगा। ओबामा ने कहा कि वह दुनिया के सबसे प्रभावशाली, साहसी और महान लोगों में से एक थे।

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की-मून और सुरक्षा परिषद ने भी नेल्सन मंडेला के निधन पर शोक जताया और कहा कि वह एक मानव प्रेरणा थे जिन्होंने नस्लभेद उत्पीड़न के खिलाफ जिंदगी भर संघर्ष किया। बान ने अपने शोक संदेश में कहा कि नेल्सन मंडेला विश्व मंच पर एक अनूठी हस्ती थे- शांति गरिमा और आसमान छूती उपलब्धियों के व्यक्ति, न्याय के लिए विशाल और विनम्र मानव प्रेरणा। मैं उनके गुजरने से बेहद दुखी हूं। 

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा, ‘हमारे विश्व के सबसे प्रकाशमान ज्योतिपुंजों में से एक आज चला गया। नेल्सन मंडेला सिर्फ हमारे समय के नायक ही नहीं थे बल्कि वह सर्वकालिक नायक हैं। स्वतंत्र दक्षिण अफ्रीका के पहले राष्ट्रपति मंडेला एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने स्वतंत्रता और न्याय के लिए बहुत कष्ट उठाए हैं।

बीबीसी की खबर के अनुसार मंडेला के सम्मान में डाउनिंग स्ट्रीट का झंडा आधा झुका दिया गया है। चीन ने मंडेला को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उन्हें ‘चीनी अवाम का एक पुराना दोस्त’ बताया। दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने मंडेला को श्रद्धांजलि देने के लिए एक विशेष वेबसाइट ‘डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट मंडेला डॉट जीओवी डॉट जेडए’ बनाई है।

जूमा ने कहा, ‘हमारी संवेदना दक्षिण अफ्रीका के लोगों के साथ है जो आज उस व्यक्ति के निधन पर शोक व्यक्त कर रहे हैं जो राष्ट्रवाद की उनकी भावना को मूर्त रूप देने आया था।’ उन्होंने कहा कि हमारी संवेदनाएं विश्वभर के उन लाखों लोगों के साथ हैं जिन्होंने मदीबा को अपना समझा और जिन्होंने उनके मकसद को अपना मकसद समझा।'

जूमा ने कहा, ‘आओ, उनके दृष्टिकोण को फिर से सुदृढ़ करते हुए एक ऐसा समाज बनाए जिसमें कोई भी किसी से शोषित या दबा हुआ न हो। आओ, एक देश बनाने के प्रति प्रतिबद्धता जताएं जो नस्लवाद रहित, लिंग भेद रहित, लोकतांत्रिक और समृद्ध हो।

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