वॉशिंगटन।। पहली बार एचआईवी के खिलाफ जंग में कामयाबी हासिल हुई है। रिसर्चर्स ने एचआईवी वायरस के साथ पैदा हुए एक बच्ची का इलाज कर उसे ठीक करने का दावा किया है। रिसर्चर्स के मुताबिक अमेरिका में जन्मी दो साल की यह बच्ची जन्म से ही एचआईवी से पीड़ित थी।
अमेरिकी रिसर्चर्स ने कहा कि उनका मानना है कि इस तरह के मामले में यदि जन्म के 30 घंटे के अंदर तीन ऐंटी-वायरल दवाएं दे दी जाएं, तो इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि 'सक्रिय इलाज' तभी संभव है जब शरीर में वायरस की मात्रा बेहद कम हो और जीवन भर के लिए इलाज की आवश्यकता न हो। साथ ही मानक चिकित्सकीय जांच के दौरान खून में इस वायरस का पता न चल सके। रिसर्च के नतीजों की घोषणा इस साल अटलांटा में आयोजित 'रेट्रोवायरस ऐंड ऑपरट्यूनिस्ट इंफेक्शन' पर हुए सम्मेलन के दौरान की गई। बाल्टीमोर स्थित जॉन्स होपकिन्स यूनिवर्सिटी के चीफ रिसर्चर और वायरोलॉजिस्ट डॉ. देबोराह परसॉड ने सम्मेलन में रिसर्च के नतीजे पेश किए। ऐसी संभावना है कि इनसे एचआईवी पीड़ित बच्चों के इलाज में मदद मिल सकेगी।
अमेरिकी रिसर्चर्स ने कहा कि उनका मानना है कि इस तरह के मामले में यदि जन्म के 30 घंटे के अंदर तीन ऐंटी-वायरल दवाएं दे दी जाएं, तो इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि 'सक्रिय इलाज' तभी संभव है जब शरीर में वायरस की मात्रा बेहद कम हो और जीवन भर के लिए इलाज की आवश्यकता न हो। साथ ही मानक चिकित्सकीय जांच के दौरान खून में इस वायरस का पता न चल सके। रिसर्च के नतीजों की घोषणा इस साल अटलांटा में आयोजित 'रेट्रोवायरस ऐंड ऑपरट्यूनिस्ट इंफेक्शन' पर हुए सम्मेलन के दौरान की गई। बाल्टीमोर स्थित जॉन्स होपकिन्स यूनिवर्सिटी के चीफ रिसर्चर और वायरोलॉजिस्ट डॉ. देबोराह परसॉड ने सम्मेलन में रिसर्च के नतीजे पेश किए। ऐसी संभावना है कि इनसे एचआईवी पीड़ित बच्चों के इलाज में मदद मिल सकेगी।
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