Tuesday 5 March 2013

छोटा दिमाग होने पर भी पुरुषों से तेज होती हैं महिलाएं

Women have smaller brains... but they use them more efficiently than menनई दिल्ली। भारतीय समाज में यह आम धारणा है कि महिलाओं के पास दिमाग नाम का कोई चीज नहीं होती। इसलिए महिला के दिमाग को लेकर अक्सर मजाक भी किया जाता है। इस मजाक से औरतें भले ही खीज जाती हों, लेकिन वैज्ञानिक तौर पर यह सच है कि पुरुषों की अपेक्षा औरतों का दिमाग छोटा होता है। हालांकि औरतें छोटे दिमाग होने के बावजूद पुरुषों के बराबर और कभी-कभी उनसे बेहतर रिजल्ट प्राप्त कर लेती हैं।
औरत के छोटा दिमाग पर वैज्ञानिकों का कहना है कि पुरुष के तुलना में औरतों का दिमाग आठ फीसदी छोटा है। छोटे दिमाग पर वैज्ञानिकों का कहना है कि पुरुषों के पास ब्रेन सेल्स की तादाद ज्यादा है। जबकि महिलाओं के पास ब्रेन सेल्स की तादाद पुरुषों के मुकाबले कम है। ब्रेन सेल्स की उपलब्धता ही किसी व्यक्ति के दिमाग का साइज बताती है।
वैज्ञानिक अध्ययन में ये बात सामने आई है कि भले ही औरत-मर्द को मनोवैज्ञानिक रूप से अलग कर पाना अभी तक बहुत मुश्किल था, लेकिन ब्रेन के आकार को लेकर दोनों के मनोविज्ञान के बारे में पता लगाया जा सकता है।
वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि औरतों में कम दिमाग होने के वाबजूद वे पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा कुशलता से दिमाग का प्रयोग करती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि पुरुषों के पास भले ही ब्रेन सेल्स का भंडार हो, लेकिन औरतों के पास रीजनिंग और न्यूरॉन के बीच बेहतर कनेक्शन होता है। यानी कि दिमाग में कम सेल्स होने के बावजूद औरतें जल्द डिसीजन और बेहतर निर्णय क्षमता का परिचय देती हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ केलीफोर्निया के न्यूरोलॉजिस्ट टीम ने यह नया अध्ययन किया है जिससे औरतों को मायूसी के साथ साथ खुशी भी मिली है। इस टीम ने यह जानने की कोशिश की कि मर्दो की अपेक्षा छोटा दिमाग होने के बावजूद महिलाओं के भीतर उनके समान बुद्धिमत्ता कैसे है।
डेली मेल के मुताबिक टीम ने दिमाग के उस हिस्से पर फोकस किया जिसे 'हिप्पोकैंपस' कहते हैं। यह हिस्सा जरूरी मैमोरी और भावों को संजो कर रखता है। पुरुषों के दिमाग का 'हिप्पोकैंपस' महिलाओं की तुलना में ज्यादा बड़ा है। इसके साथ ही न्यूरल पॉवर भी ज्यादा है। जबकि महिलाओं के दिमाग का ये हिस्सा छोटा होने के बावजूद अच्छी तरह से व्यवस्थित और बेहतर रिजल्ट देने वाला होता है। इस टीम की प्रारंभिक सफलता से यह साबित हो चुका है कि महिलाएं कुदरती देन में कमी होने के बावजूद बेहतर रिजल्ट देती हैं, जबकि पुरुष कुदरती मेहरबानी का पूर्ण उपयोग कर पाने में असफल रहे हैं। हालांकि कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ट्रेवर रोबिन्स का कहना है कि अध्ययन अभी जारी है और अंतिम निष्कर्ष दोनों ही वर्गो को आश्चर्यचकित कर सकता है।

No comments:

Post a Comment