Friday 1 March 2013

'पत्नी की मर्जी के बगैर सेक्‍स बलात्कार नहीं'

without wife choice sex is not rape
पत्नी की मर्जी के बगैर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने को बलात्कार मानने की जस्टिस वर्मा समिति की सिफारिश को केंद्र सरकार के बाद संसद की स्थायी समिति ने भी नकार दिया है।

समिति ने कहा है कि भारत में विवाह एक संस्था की तरह है जिसमें पति-पत्नी के रिश्तों के बीच इस तरीके का प्रावधान स्वीकार योग्य नहीं होगा। समिति सरकार के उस निर्णय से सहमत है जिसमें वर्मा समिति की इस सिफारिश को दरकिनार कर दिया गया था। 

गृह मंत्रालय से जुड़ी संसदीय समिति ने शुक्रवार को राज्यसभा में पेश अपनी रिपोर्ट में वैवाहिक बलात्कार (मैरिटल रेप) पर सरकार की राय को सही माना है। समिति के अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने बताया कि सरकार ने वर्मा समिति की सिफारिशों को भी समिति के पास भेजा था।

नायडू ने बताया कि समिति के दो सदस्यों को छोड़कर अन्य सभी ने माना कि भारत की विवाह संस्था की अपनी विशिष्टता है और उसे बचाए रखने की जरूरत है। नायडू ने दलील दी कि दांपत्य जीवन में बलात्कार के मामलों को अपराध की श्रेणी में रखने से पारिवारिक व्यवस्था बिगड़ने का गंभीर खतरा है।

हालांकि समिति ने तलाक की कानूनी प्रक्रिया के दौरान पति के पत्नी पर किए गए यौन उत्पीड़न को संज्ञेय अपराध माने जाने की सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि समिति के अधिकांश सदस्यों का मानना है कि विवाह संबंध में बंध जाने के बाद दोनों की शारीरिक संबंध के लिए सहमति है।

जस्टिस जेएस वर्मा आयोग ने अपनी रिपोर्ट में मैरिटल रेप में पति को दी गई सुरक्षा को समाप्त करने की सिफारिश की थी। मैरिटल रेप उस शारीरिक संबध को माना जाता है जिसमें पत्नी की सहमति के बिना पति शारीरिक संबंध बनाता है।

आयोग ने यूरोपियन कमीशन के मानवाधिकार आयोग के साथ कनाडा, दक्षिण अफ्रीका और आस्ट्रेलिया के साक्ष्यों का हवाला देते हुए सरकार से कहा था कि बिना सहमति के बनाए गए संबंधों को वैवाहिक संबंधों में भी बलात्कार माना जाना चाहिए। और उसके लिए वही सजा होनी चाहिए तो वैवाहिक संबंधों से इतर की होती है।

बलात्कारी और हत्यारे दया के हकदार नहीं
संसदीय समिति ने सिफारिश की है कि दुष्कर्म और हत्या के मामलों के दोषियों की दया याचिकाओं पर सुनवाई ही नहीं की जानी चाहिए। यदि ऐसे किसी मामले में दोषी को माफी दी भी जाती है तो फिर इसकी वजह भी सार्वजनिक की जानी चाहिए। समिति ने कहा है कि बलात्कार और हत्या के दोषी दया के हकदार नहीं हैं। उन्हें हर कीमत पर सख्त सजा मिलनी चाहिए।

प्रतिभा पाटिल के फैसले पर उठाए सवाल
समिति ने चार बलात्कारियों को क्षमादान देने के पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के फैसले पर भी समिति ने परोक्ष सवाल उठाए हैं।

तीन माह में हो दया याचिकाओं का निपटारा
समिति ने अपनी सिफारिशों में यह भी कहा है कि दया याचिकाओं का निपटारा हर हाल में तीन माह के अंदर किया जाना चाहिए। ताकि दोषी देरी का बहाना लेकर सजा माफ करने की अपील नहीं कर सकें।

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