इस 20 साल के लड़के ने नंबर वन धौनी सेना को धो-धो कर धो डाला
(शिवम् अवस्थी), नई दिल्ली। टीम इंडिया दक्षिण अफ्रीका नंबर वन के लेबल के साथ गई थी। करोड़ों उम्मीदों के साथ टीम के खिलाड़ियों का मनोबल भी सातवें आसमान पर था। एयरपोर्ट से लेकर होटल और होटल से लेकर मैदान तक टीम इंडिया जब भी बाहर दिखी फैंस की आंखों की चमक नंबर वन होने की कहानी बयां कर रही थी लेकिन...अचानक एक तूफान आया जिसने इन उम्मीदों, इन ख्वाइशों और इस रुतबे को तार-तार करने में सिर्फ तीन मैच लगाए। इस तूफान की उम्र थी महज 20 साल, नाम है क्विंटन डी कॉक।
17 दिसंबर, 1992 को जोहानिसबर्ग, दक्षिण अफ्रीका में जन्मे क्विंटन डी कॉक को हाल में जब आइपीएल नीलामी के दौरान हैदराबाद सनराइजर्स टीम ने 20 हजार डॉलर में खरीदा तब ये नाम अंजाना सा था। उनकी बल्लेबाजी ने भी इतना प्रभावित नहीं किया, लेकिन जब टीम इंडिया दक्षिण अफ्रीका गई तो उसने सभी भारतीय खिलाड़ियों को अपना दम दिखा ही दिया। तीन वनडे मैचों की सीरीज में इस खिलाड़ी ने शतकों की हैट्रिक लगाने का कारनामा कर दिखाया है। इसके साथ ही वो जहीर अब्बास (पाक), सइद अनवर (पाक), हर्शल गिब्स (द.अफ्रीका) और एबी डिविलियर्स (द.अफ्रीका) के बाद वनडे में ऐसा करने वाले पांचवें बल्लेबाज बन गए हैं।
दक्षिण अफ्रीका के इस सलामी बल्लेबाज ने जोहानिसबर्ग में खेले गए पहले वनडे मैच में 135 रनों की यादगार पारी खेली, इसके बाद डरबन में खेले गए दूसरे वनडे में उन्होंने 106 रनों की पारी खेली और अंतिम वनडे में इस 20 वर्षीय बल्लेबाज ने 101 रनों की पारी खेली। भारतीय गेंदबाजों ने अपना पूरा जोर लगाया, धौनी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी लेकिन एक भी मैच में उन्हें शतक तक पहुंचने से कोई नहीं रोक सका। बेशक आखिरी मुकाबले में बारिश की वजह से मैच धुल गया लेकिन अगर दक्षिण अफ्रीका जीत जाती तो वो यकीनन मैन ऑफ द मैच की हैट्रिक भी लगा देते। पहले और दूसरे वनडे में उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया और अंत में मैन ऑफ द सीरीज भी वही बने।
शांत सा चेहरा, सौम्य स्वभाव और तेजतर्रार बल्लेबाजी करने वाले इस युवा बल्लेबाज ने सबका दिल जीत लिया है। सीरीज के तीन मैचों में 114 की औसत से 342 रन बनाने वाले क्विंटन डी कॉक ने सीरीज में 36 चौके और 5 छक्के जड़े। इस दौरान उनका स्ट्राइक रेट 95.26 रहा। जाहिर तौर पर नंबर वन टीम के खिलाफ वनडे में इस प्रकार का प्रहार दक्षिण अफ्रीकी चयनकर्ताओं को इतना बताने के लिए काफी है कि ये लंबी रेस का घोड़ा है, और धौनी सेना को ये संदेश देने के लिए काफी है, कि अब आंखें खोलने का समय है, क्योंकि गद्दी रुतबे की नहीं, प्रदर्शन की मोहताज होती है।
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